बहोत थकता है जब आदमी
तो सांसे गेहरी हो जाती है
धडकन मेहसूस होने लगती है
ये धडकता आखिर क्यो है?
दिल भी थकता होगा शायद रोजाना की भागादौडसे
दिल भी पाना चाहता होगा सुकून
या दिल उछलता होगा कुछ नया पाने को
धडकनोंपे भला कौन गौर फर्माये?
हमने तवज्जू दिया तो जाना
जब बहोत थकता है आदमी तो सोचता कम है
सांसे ..
पसीना ..
आदमी ...
और धडकन ... बस!!
दिल को बडी फुरसतसे सुनता है फिर
एक ताल पकडती धडकन
घडी की याद दिलाती धडकन
भावनाओंका प्रतिबिंब धडकन
जीवनकुंभ का तरंग धडकन
चालू है कुछ भीतर कहीं
धडकन होती है रोज नईं
एक पुराना बस्स दिल है
मानो गेहरी कोई झील है
इस झील का अंतर्नाद है धडकन
सोच समझसे आझाद है धडकन
दिलकी आवाजें वोही सुन पातें है
जो थकने की हिंमत रखते है
धडकते दिल को जो सुन नहीं पातें
क्या वो सच मे जिंदा होते है???
-प्रसाद
Dil ko badifursaat se sonata hai fir.
उत्तर द्याहटवाWah, bahot khoob.
धन्यवाद आशाताई :)
उत्तर द्याहटवा